स्कूल की बिल्डिंग स्कूल नहीं है। स्कूल का अर्थ तो स्कूल की पढ़ाई है, जो किसी स्कूल में नहीं हो रही। Photo: Rakesh Raman

स्कूल की बिल्डिंग स्कूल नहीं है। स्कूल का अर्थ तो स्कूल की पढ़ाई है, जो किसी स्कूल में नहीं हो रही। Photo: Rakesh Raman

गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो
, गोविंद दियो मिलाय ।

यह कह कर संत कबीर ने गुरु यानि अध्यापक को भगवान से भी ऊपर का स्थान दिया था। लेकिन आज का अध्यापक भगवान नहीं बल्कि शैतान बन कर रह गया है।

By Rakesh Raman

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आप सब को यह पता होगा कि आज देशविदेश में यह कह कर भारत की शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि यदि भारत में शिक्षा का स्तर इतना ख़राब है तो मातापिता अपने बच्चों को स्कूल या कॉलेज क्यों भेजते हैं।

कुछ दिन पहले भारत के राष्ट्रपति श्री प्रनब मुख़र्जी ने भी साफ़साफ़ शब्दों में यह कहा कि ऐसी शिक्षा के साथ हम कभी भी विकसित देशों की श्रेणी में नहीं आ सकते और भारत की शिक्षा प्रणाली में तुरंत सुधार होने चाहिए।

यहाँ तक कि भारत सरकार ने अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप 2016 (Draft National Education Policy, 2016) में भारत की शिक्षा व्यवस्था में इतनी कमियां बताई हैं कि कुछ लोग तो अपने बच्चों को स्कूल या कॉलेज में भेजना ही बंद कर देंगे।

भारत की शिक्षा के गिरते हुए स्तर की बात अब सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में की जा रही है। उदाहरण के लिए वैश्विक मानव विकास सूचकांक (एच.डी.आई.) – Global Human Development Index (HDI) – में भारत का स्थान विशव में बहुत नीचे यानि 130 नंबर पर आता है जो एक चिंता का विषय है।

भारत की शिक्षा के बारे में एक सर्वे (‘Pearson Voice of Teacher Survey 2015) में यह कहा गया है कि भारत में जिन लोगों के पास पढ़ाई की डिग्रियां भी हैं, वे भी कोई अच्छी नौकरी करने के योग्य नहीं हैं। इसीलिए भारत में बेरोजगारी (unemployment) एक जानलेवा बीमारी की तरह बढ़ती जा रही है।

बेईमान अध्यापक – Dishonest Teachers

तो क्यों है भारत की शिक्षा का बुरा हाल? वैसे तो हम इसके कई कारण गिन सकते हैं। लेकिन भारत की शिक्षा के सर्वनाश में सब से बड़ा हाथ है स्कूल टीचरों या अध्यापकों का जो भ्रष्टाचार और बेईमानी की एक जिन्दा मिसाल हैं।

जब विद्यार्थियों की स्कूल की शिक्षा ख़राब होगी तो उनकी कॉलेज की या आगे की पढ़ाई कभी ठीक नहीं हो सकती। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में टीचरों का एक सा ही बुरा हाल है।

आज भारत के स्कूल स्कूल नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के ट्रेनिंग सेंटर की तरह चल रहे हैं। टीचर (अध्यापक) क्लास में आते नहीं, जो आते हैं वो पढ़ाते नहीं। बहुत से टीचर पढ़ा सकते नहीं क्योंकि उन्हें पढ़ाना आता नहीं। परीक्षा में टीचर स्टूडेंट्स को नक़ल खुद करवाते हैं।

और क्लास में पढ़ाने की बजाय टीचर बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ने के लिए कहते हैं जो एक अपराध ही नहीं बल्कि एक समाजिक बुराई भी है। अगर स्टूडेंट्स ने प्राइवेट ट्यूशन ही पढ़नी है तो स्कूल टीचरों को किस बात के पैसे मिल रहे हैं? यह टीचरों का भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है? जो टीचर स्टूडेंट्स को नक़ल करके पास करवाते हैं वह चोरी नहीं तो और क्या है?

बहुत से स्कूल टीचरों का तो इतना बुरा हाल है कि उन्हें कुछ सिखाया भी नहीं जा सकता। ऐसे लगता है कि वे पाषाण युग (Stone Age) से सीधे आधुनिक युग (modern world) में आ गए हैं। उनको यह भी पता नहीं है कि स्कूलों में पाठ्यक्रम (syllabus) और किताबें इतनी पुरानी और दिशाहीन हैं कि वह विद्यार्थी को नौकरी लेने में काम नहीं आएंगे।

हालाँकि सरकार स्कूल टीचरों के प्रशिक्षण पर करोड़ों रुपया खर्च करती है, लेकिन यह सब सरकारी पैसे की बर्बादी है। ऐसा समझ लीजिए कि एक गधे को गीत गाना तो सिखाया जा सकता है, लेकिन एक स्कूल टीचर को आधुनिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। कृपया इस गधे वाली बात का कोई गल्त मतलब न निकालिएगा, यह सिर्फ एक उदहारण है।

बहुत से सरकारी स्कूल टीचरों को पता है कि उनके स्कूल की पढ़ाई और माहौल बिल्कुल ख़राब है। लेकिन वे इतने बेईमान हैं कि वे अपनी नौकरी के पैसे तो सरकार से लेते हैं परन्तु अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं हालाँकि प्राइवेट स्कूलों की हालत भी ख़राब है।

टीचरों की क्रूरता – Cruelty of Teachers

टीचरों की क्रूरता और आतंक का कहर उस वक़्त और भी बढ़ जाता है जब वे क्लास में सवाल पूछने पर बेचारे बच्चों या विद्यार्थियों को या तो ऊँची आवाज़ में डराते और धमकाते हैं या उन्हें मारतेपीटते हैं।

उसके बाद बच्चा इतना डर जाता है कि क्लास में कभी सवाल नहीं पूछता। ऐसा डरा हुआ बच्चा मानसिक रोगों का शिकार हो जाता है और अपनी पूरी जिंदगी में न तो कुछ सीख पाता है और न ही कुछ अच्छा काम कर पाता है।

यहाँ यह बताना आवश्यक है कि भारत के कानून के मुताबिक, स्कूल में टीचर बच्चों को ऐसी कोई सज़ा नहीं दे सकते जिससे बच्चों को कोई शारीरिक या मानसिक पीड़ा हो। यदि टीचर ऐसा करते हैं तो वह एक कानूनन अपराध माना जाता है जिससे टीचरों की नौकरी भी जा सकती है।

लेकिन स्कूल के बच्चों और उनके मातापिता को टीचरों ने इस तरह डराया हुआ है कि वे इन टीचरों के आतंक और स्कूल में और कमियों के बारे में कहीं शिकायत नहीं कर पाते। एक तरह से टीचरों ने बच्चों और उनके मातापिता की आवाज़ को दबा दिया है जो एक मानव अधिकारों का  उल्लंघन (human rights violation) माना जाएगा।

अगर कोई शिकायत करने की कोशिश करता है तो स्कूल टीचर उसको अनसुना कर देते हैं और यदि कोई लिख कर शिकायत करने की सोचता है तो स्कूलों में जानबूझकर ऐसा कोई प्रबंध नहीं किया गया जहाँ शिकयात को औपचारिक रूप से स्वीकार किया जाए। स्कूलों में हर कदम पर धोखा है।  

मैं ऐसे कई दुखी बच्चों और उनके मातापिता को रोज़ मिलता हुँ जो अपनी आवाज़ स्कूल या सरकार तक नहीं पहुंचा सकते क्योंकिं मैं भारत की राजधानी दिल्ली में ग़रीब बच्चों के लिए एक मुफ़्त शिक्षा का स्कूल (free school for desrving children) चलाता हुँ।

ऐसे बेचारे बच्चों और उनके मातापिता को आवाज़ देने के लिए मैंने यह सेवा टीचरो मेरी आवाज सुनो शुरू की है। इससे विद्यार्थी और उनके मातापिता स्कूल और टीचर के बारे में कुछ भी शिकायत कर सकते हैं या सुझाव दे सकते हैं।

इस सेवा के द्वारा मैं उनकी शिकायतों और सुझावों को स्कूल या सरकार तक ले जाऊंगा ताकि हम सब मिल कर भारत की शिक्षा में सुधार कर सकें।

शिकायतें और सुझाव – Complaints and Suggestions

वैसे तो आप स्कूल के बारे में किसी भी तरह की शिकायत कर सकते हैं या सुझाव दे सकते हैं, लेकिन आपकी सुविधा के लिए कुछ उदहारण नीचे दिए गए हैं।

शिकायतें

  • टीचर क्लास में नियमित रूप से नहीं आता
  • क्लास में पढ़ाने की बजाए टीचर एक दूसरे के साथ गप्पें लगाते हैं
  • टीचर क्लास में मोबाइल फ़ोन पर बातें करता है
  • टीचर क्लास में मोबाइल फ़ोन की तार कान में लगा कर फ़िल्मी गाने इत्यादि सुनता है
  • बच्चे के सवाल पूछने पर टीचर बच्चे को डांडता या मारता है
  • टीचर को अच्छी तरह पढ़ाना नहीं आता
  • टीचर या खुद प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाता है या बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ने को कहता है
  • टीचर अपनी जगह किसी और को पढाने के लिए क्लास में भेजता है
  • टीचर कंप्यूटर लैब नहीं खोलता
  • टीचर किसी भी तरह की रिश्वत मांगता है
  • प्राइवेट स्कूल में अँधाधुंध फीस बड़ाई जा रही है
  • टीचर परीक्षा में स्टूडेंट्स को नकल करवाता है
  • स्कूल बिना पढ़ाए बच्चे को अगली क्लास में करते जा रहे हैं
  • टीचर क्लास में बहुत ज्यादा खाँसी करता है या उसे कोई ऐसी आदत है जो बच्चों के लिए ठीक नहीं
  • टीचर शराब या बीड़ीसिगरेट पीता है
  • सरकारी स्कूल टीचर का अपना बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है
  • स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (school management committee) ठीक नहीं चलती

या ऐसी और शिकायतें

सुझाव

  • स्कूल के बाहर से कूड़ाकरकट या गंद उठाया जाए
  • स्कूल के बाहर से शराब या बीड़ीसिगरेट की दूकान उठाई जाए
  • स्कूल के बाहर बैठ कर जो लोग जुआ खेलते हैं उन्हें रोका जाए
  • स्कूल में खेलों का अच्छा प्रबंध किया जाए
  • स्कूल में अधिक प्रतियोगिता और डिबेट करवाए जाएं
  • स्कूल में एक अच्छी लाइब्रेरी बनाई जाए
  • स्कूल के परीक्षा हॉल में निगरानी कैमरे (surveillance cameras) लगाए जाएं ताकि नक़ल करने वाले स्टूडेंट्स को पकड़ा जा सके
  • ऐसा पाठ्यक्रम (syllabus) बनाया जाए जो स्टूडेंट्स को नौकरी लेने और कैरियर बनाने में काम आए
  • उसी तरह सब किताबों को बदला जाए
  • स्कूल में छुटियाँ कम होनी चाहिए
  • मातापिता को शिक्षा के महत्त्व के बारे में बताया जाए
  • टीचरों की जवाबदेही तय की जाए। निकम्मे और बेईमान टीचरों को स्कूल से निकाला जाए

या ऐसे और सुझाव

मेरा काम – My Work

देश के आम नागरिकों के लिए ऐसी सेवाएं जो भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हों या राजनितिक प्रणाली को ठीक करने के लिए हों, मैं पहले भी कई बार दे चूका हुँ। मेरी ऐसी सेवायों के कुछ अंश जो देश के बढ़े अख़बारों में छपे हैं, वे आप मेरे फेसबुक पेज पर देख सकते हो।

वैसे तो मैं एक पत्रकार हुँ और आजकल अपनी ग्लोबल न्यूज़ सर्विसेज चलाता हुँ जिनमें से एक RMN Kids है जिसे मैने 2011 में शुरू किया था। इस ऑनलाइन सर्विस द्वारा मैं देशविदेश के स्टूडेंट्स, उनके मातापिता, और शिक्षकों को शिक्षा और उससे जुड़ी जानकारी देता हुँ।

साथ में मैं स्टूडेंट्स को आधुनिक शिक्षा देने के लिए कई किताबें लिखता हुँ और बच्चों के लिए मुफ़्त शिक्षा का स्कूल चलाता हुँ। क्योंकि मैं भारत में शिक्षा के गिरते हुए स्तर को कई सालों से देख रहा हुँ, इसके सुधार के लिए मैं कई काम कर रहा हुँ। इस लिए मैंने यह सेवा टीचरो मेरी आवाज सुनो शुरू की है  जो स्कूल शिक्षा के सुधार के लिए है।

हालाँकि मैं जानता हुँ कि बहुत से लोग डर के कारण स्कूल और टीचर के बारे में कुछ भी नहीं कहेंगे, लेकिन मेरा देश के सभी विद्यार्थियों और उनके मातापिता से अनुरोध है कि वे या तो मुझे नीचे दिए ऑनलाइन फ़ॉर्म के द्वारा या जो इस फ़ॉर्म में जानकारी मांगी गई है उसे मेरे मेल द्वारा, या मेरे फेसबुक पेज पर मैसेज भेज कर, स्कूल और टीचरों के बारे में बताएँ ताकि भारत की शिक्षा में सुधार हो सके और शिक्षित लोगों को देशविदेश में अच्छी नौकरियां और सम्मान मिल सके। यह हम सब भारत वासियों की भलाई का काम है।

जय हिन्द।

By Rakesh Raman, who is a government award-winning journalist and runs free schools for deserving children under his NGO – RMN Foundation.

टीचरो मेरी आवाज सुनो

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